लवलीन धालीवाल
गुत्थी, रिंकू भाभी या फिर द कपिल शर्मा शो की सपना कॉमेडी की दुनिया ऐसे किरदार जिनकी कॉमेडी का जादू लोगों के खूब सिर चढ़ कर बोला। मर्द से औरत बनकर एक नई तरह के किरदार रचना लोगों के लिए नयापन लेकर आया पर पंजाब में इसका आगाज़ बहुत पहले ही हो चुका था। अतरो - चतरो पंजाबी कॉमेडी के ऐसे ब्रांड हैं जिन्होंने छोटे और बड़े दोनों पर्दो पर कॉमेडी को नए मायने दिए। ये इतना बड़ा ब्रांड थे कि कभी उनके नाम के कपड़े बिकते थे। हालांकि अतरो-चतरो अब दोनों ही इस दुनिया में नहीं हैं पर आज भी गुत्थी और सपना के किरदार कहीं ना कहीं उनके होने का अहसास दिलाते हैं।
अतरो -चतरो का असली नाम शायद ही कोई जनता था। 1996 में चतरो यानि देसराज शर्मा का देहांत हो गया और 2016 में अतरो यानी सरूप परिंदा का। जब दोनों ने इस किरदार को धारण किया तो वह महज एक इत्तफाक था। इतनी शोहरत मिलेगी किसी ने सोचा नहीं था। सरूप परिंदा ने आठ साल की उम्र से रामलीला में किरदार निभाना शुरू किया। जालन्धर दूरदर्शन के एक छोटे से नाटक अतरो चतरो प्राइवेट लिमिटेड से ये दोनों किरादर सामने आए। बस यही से उन्हें शोहरत मिलनी शुरू हो गई और करीब 10 साल स्टेज शो, टीवी, फिल्में पूरी एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री पर छाए रहे। दोनों को एक साथ ही पसंद किया जाता था।
1996 में चतरो के निधन के बाद उनका जादू बिखर गया। अतरो ने नया जोड़ीदार ढूंढा पर वह बात नहीं बनी। कहा जाता है , ये दोनों परदे पर जिस तरह के रंगीन किरदार निभाते थे, असली जिंदगी में उससे बहुत अलग थे, बिलकुल सीधे-साधे। बस अपने किरदार में ढलते ही अलग रंग में ढल जाते थे और कोई उन्हें पहचान भी नहीं पाता था। खास बात यह भी है कि ये सिर्फ कॉमेडी तक सिमित नहीं थे। ठेठ पंजाबी बोलचाल, लहजा, पहनावे की छाप छोड़ने वाले ये किरदार असली पंजाब की झलक दिखाते थे। अतरो -चतरो की कॉमेडी देखकर पले बढ़े पंजाबी कॉमेडियंस आज पूरी दुनिया में धूम मचा रहे हैं। आने वाले कलाकार भी ऐसे किरदारों से कुछ न कुछ प्रेरणा लेते रहेंगे।