सूपरस्टार गिप्पी ग्रेवाल अपनी मेहनत से जहां पहुंचे हैं, वैसी ही मेहनत अपने बेटों को करने के लिए कहते हैं, तभी तो डायरेक्टर होने के बावजूद अपने दोनों बेटों को गिप्पी ने ऑडिशन के वक्त ही रिजेक्ट कर दिया था।
जैसा बाप-वैसा बेटा, यह बात गिप्पी ग्रेवाल और उनके छोटे बेटे गुरफतेह सिंह (शिंदा) ग्रेवाल पर बखूबी लागू होती है। ‘अरदास करां’ में गुरफतेह ने अपने टैलेंट से ऑडियंस का दिल जीत लिया था। वह अपने पिता गिप्पी ग्रेवाल के नकशे कदम पर चल रहे हैं। लेकिन उन्हें भी इस रोल को हासिल करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी थी।
साल 2016 में गिप्पी ने ‘अरदास’ फिल्म से डायरेक्शन में कदम रखा था। उस वक्त चाइल्ड आर्टिस्ट के लिए गिप्पी के दोनों बेटों ने ऑडिशन दिया था। लेकिन दोनों को ही गिप्पी ने रिजेक्ट कर दिया था। उनका मानना था कि बाकी बच्चों का ऑडिशन उनके बेटों से बेहतर था, इसलिए उन्होंने दोनों को मना कर दिया। दोनों बेटे उनसे काफी नाराज हो गए थे। तब गिप्पी ने उन्हें समझाया था कि वह उस फिल्म में उन्हें रिजेक्ट होने के बाद भी अगर रख लेते तो सभी उनकी एक्टिंग देखकर उनका मजाक उड़ाते। और उन्हें कभी भी कोई अपनी फिल्म में नहीं रखता। यह बात सुनने के बाद ही दोनों ने खुद पर काम करना शुरू किया।
फिल्म अरदास करां के लिए एक छोटे बच्चे का किरदार निभाने के लिए चाइल्ड आर्टिस्ट चाहिए था, इसलिए गिप्पी के छोटे बेटे ने ही अपना ऑडिशन दिया। बड़े बेटे एकओंकार के लिए कोई किरदान नहीं था। गिप्पी की मानें तो उनके बड़े बेटे एकओंकार ने अपने छोटे भाई कि तैयारी करवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। दोनों ऑडिशन से पहले अपने कमरे में तैयारी करते रहते थे, और बड़ा भाई छोटे भाई गुरफतेह को बार-बार यही बोलता दिखता था, कि तैयारी अच्छे से कर ले नहीं तो पापा ने इस बार भी ऑडिशन में रिजेक्ट कर देना है। और आखिर में ऑडिशन पास करके अरदास करां फिल्म के लिए गुरफतेह सिलेक्ट हुआ।
लेकिन गुरफतेह के लिए शूटिंग एक्सपीरियंस सिर्फ एक दिन के लिए ही अच्छा था, क्योंकि गुरफतेह को शूटिंग के दौरान आईपैड खेलने को मिल गया था, जब उनका सीन नहीं होता तो वह गेम्स खेलते। लेकिन अगले दिन से जब सीन के बार-बार रीटेक होने शुरू हुए तो गुरफतेह ने अपने पिता से कहा उन्हें यह काम नहीं करना, इससे आसान तो पढ़ाई है।