पंजाबी गाने जहां अपनी पॉपुलैरिटी के कारण हमेशा न्यूज़ में रहते हैं वहीं अश्लीलता के कारण भी। दारू, हथियार और अश्लील व उकसाने वाली भाषा का प्रयोग पंजाबी गानों में खुलकर होता है। इसकी आलोचना तो हमेशा से होती रही है पर इसके लिए न तो कोई तय सीमा है और न कोई रूल्स। सबको अपनी मर्ज़ी से भाषा का प्रयोग करने की खुली छूट है। यही वजह है कि इन गानों पर आज तक कोई रोक नहीं लगी।
रैपर सिंगर हनी सिंह कई बार अपने गानों की वजह से कड़ी आलोचना झेल चुके हैं। अभी भी उनके गानों को लेकर कॉन्ट्रोवर्सीज होना जारी है। अपने मखना गाने के आपत्तिजनक बोल के कारण वो फिर सवालों के घेरे में आए थे और उन पर पंजाब पुलिस ने मामला दर्ज़ किया। उन्होंने मखना गाने में मैं हूँ वुमेनाइज़र शब्दों का इस्तेमाल किया था। इस गाने ने यू ट्यूब पर काफी लिसनर को जोड़ लिए पर पंजाब राज्य महिला आयोग ने इस पर आपत्ति जताई थी।
सवाल ये है कि कभी हथियारों और ख़राब भाषा के बिना पंजाबी गाने बन पाएंगे। क्योंकि बुलंदियों को छू रही इस इंडस्ट्री को इस वजह से काफी खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। एक्टर शेखर सुमन का कहना है, म्यूजिक बनाने वालों को गानों में इस तरह की भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इसके लिए कुछ तय सीमाएं होनी चाहिए। नई जनरेशन के लिए भी यही बेहतर रहेगा।
अगर फिल्म इंडस्ट्री की तरह इसके लिए भी कुछ तय सीमाएं हो तो शायद इस हद तक वल्गैरिटी का प्रयोग नहीं हो सकेगा। पंजाब राज्य महिला आयोग पंजाबी ने म्यूजिक इंडस्ट्री के लिए एक सेंसर बोर्ड बनाने का प्रपोजल रखा था ताकि गानों की भाषा पर कुछ लगाम लग सके।
ऐसे ही एक फैन परमिंदर सिंह का कहना है कि मुझे लगता है सेंसर बोर्ड जरूर बनना चाहिए क्योंकि जिस तरह के गाने बन रहे हैं उससे न सिर्फ इमेज ख़राब हो रही है बल्कि इंडस्ट्री की ग्रोथ के लिए भी खतरा है। यह जरुरी है कि गाने बनाते हुए दिमाग में यह रहे कि हम लोगों को क्या परोसने जा रहे हैं खासतौर पर नई जनरेशन और बच्चे, जो इन गानों के बहुत बड़े फैन हैं।